हवन में दो लाख सात हजार चार सौ अड़सठ मंत्रों की आहुति देकर विश्व शांति की कामना।  सिद्धचक्र महामंडल विधान समापन पर चांदी की पालकी पर निकले त्रिलोकी नाथ 

हवन में दो लाख सात हजार चार सौ अड़सठ मंत्रों की आहुति देकर विश्व शांति की कामना।

 सिद्धचक्र महामंडल विधान समापन पर चांदी की पालकी पर निकले त्रिलोकी नाथ 

 

 

शाहगढ़। प्राचीन पार्श्वनाथ त्रिमूर्ति जिनालय स्थित नवीन प्रांगण में अष्ठनिका पर्व पर सिद्ध चक्र महामंडल विधान और विश्व शांति महायज्ञ आयोजित किया गया। 7 मार्च से प्रारम्भ श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान व विश्व शांति महायज्ञ में 2040 अर्घ्य समर्पित हुए और अंतिम दिन दो लाख सात हजार चार सौ अड़सठ मंत्रों की हवन में आहूतियों के साथ विशाल शोभा यात्रा के साथ समापन हुआ।

विधानाचार्य पं. अशोक बमौरी, पंडित वीरचंद नरवा, पंडित रिंटू भैया के सान्निध्य में आयोजित इस विधान में मंत्रोच्चार के साथ अंतिम दिन हवन में पूर्णाहुति देकर श्रद्धालुओं ने अपने कर्मों की निर्जरा करते हुए पुण्यार्जन किया।

 

.…...विश्व शांति महायज्ञ में दो लाख मंत्रों से अधिक आहुतियां दी....

 

आठ दिवसीय अनुष्ठान में प्रतिदिन भक्तों ने प्रातःकाल की बेला में श्रीजी का अभिषेक पूजन किया। विधानाचार्य ने मंत्रोच्चार के साथ शांति धारा को पूर्ण करवाया। कार्यक्रम के दौरान संध्या कालीन संगीतमय आरती में श्रद्धालु भक्तिमय हो झूमते-नाचते नजर आए। कार्यक्रम के अंतिम दिन शुक्रवार को महायज्ञ में दी जाने वाली पूर्णाहुति की सुगंध से आयोजन स्थल भर गया। इस दौरान श्रीजी के जयकारे गूंजते रहे।

 

....सांस्कृतिक कार्यक्रमों से धर्म संस्कारों की शिक्षा....

 

धर्म प्रभावना की मंगल कामना से आयोजित इस 8 दिवसीय कार्यक्रम में प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम अयोजित किये गए। इन सांस्कृतिक आयोजनों में जैन धर्म के संस्कारों की शिक्षा देकर बच्चों को संस्कारित कर युवा पीढ़ी को संयम व सादगी का संदेश दिया गया। प्रतिदिन नाटकों, धर्म सभा, धार्मिक विषयों पर संवाद, प्रश्न मंच और प्रवचनों के माध्यम से युवाओं और जैन धर्म विलंबियों को संस्कारों की शिक्षा दी गई।

 

....शोभायात्रा के साथ चांदी की पालकी पर सवार होकर श्रीजी पहुंचे जिनालय...

 

पूर्णाहुति देने के उपरांत दोपहर को श्रीजी की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई जिसमें बच्चों, महिलाओं और पुरुष श्रद्धालुओं ने रास्ते भर भक्ति नृत्य कर जिनेन्द्र देव के जयकारे लगाए। शोभायात्रा में चांदी की पालकी में विराजमान त्रिलोकी नाथ की पालकी को लेकर चल रहे श्रावकों के माथे पर स्थित रेखाएं अपने भाग्य पर इठलाती हुई प्रतीत हो रहीं थीं। शोभायात्रा कार्यक्रम स्थल से पंचायती त्रिमूर्ति जिनालय मंदिर जी पहुंची जहाँ श्रीजी के अभिषेक-प्रक्षाल के बाद उन्हें वेदी पर विराजमान किया गया इसके साथ ही कार्यक्रम का समापन हुआ।

 

 

 

....पंच परमेष्ठी की आराधना का है, यह अनुष्ठान..ब्रह्मचारिणी जयंती दीदी।

 

 

 

ब्रह्मचारिणी जयंती दीदी और विधानाचार्य अशोक जी (बमौरी) ने कहा कि भक्ति भाव पूर्वक अनंतानंत सिद्ध परमेष्ठी भगवान की आराधना अनुष्ठान से निश्चित ही इस महायज्ञ में श्रद्धालुओं ने अपने कर्मों की निर्जरा कर जीवन को धन्य किया है। उन्होंने बताया कि सभी को अपने कर्मों की निर्जरा और जीवन के कल्याण के लिए पूर्ण भक्ति भाव से सिद्धों की आराधना करनी चाहिए। अंतिम दिन विधान समिति द्वारा सभी का सम्मान और आभार किया गया।

विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे जैन धर्मावलंबियों स्थानीय समाज सहित विभिन्न क्षेत्रों से आकर श्रद्धालुओं ने पुण्यलाभ प्राप्त किया।